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Baboolarishat Syrup (अभयारिष्ट सिरप)

Rs. 120.00/-     Rs. 120.00

आयुर्वेद में "चिकित्सा के राजा" के रूप में जाना जाने वाला अभयारिष्ट, अभयारिष्टम या अभ्यारिष्ट जड़ी बूटी अभय का किण्वित तरल हर्बल निर्माण है, जिसे हरीतकी के रूप में भी जाना जाता है।

उपयोगिता - पंचगव्य अभयारिष्टम या अभयारिष्ट एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक मिश्रण (काढ़ा) है जिसका उपयोग बवासीर, कब्ज, पेट फूलना, गैस और पेट फूलने के इलाज के लिए किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, अभयारिष्ट में रेचक गुण होता है जो कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है। यह गुण गुदा फिस्टुला के लक्षणों को कम करने में भी मदद करता है। इसमें वात संतुलन गुण भी होते हैं जो पाचन अग्नि को उत्तेजित करते हैं, जिससे बवासीर जैसी स्थितियों को प्रबंधित करने में मदद मिलती है।

अभ्यारिष्ट इतना प्रभावी क्यों है - एक अत्यंत लाभकारी जड़ी बूटी, हरीतकी (अभय) का उपयोग मधुमेह के प्रबंधन, पाचन को बढ़ावा देने, कब्ज से राहत देने और शरीर की उपचार क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग गले की खराश को ठीक करने और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसे फेफड़ों के संक्रमण के इलाज के लिए भी किया जाता है।

घटक         

बबूलछाल, धायपुष्प, पीपल, जायफल, कंकोल, दालचीनी,  इलायची, तेजपत्र, नागकेशर, लोंग, कालीमिर्च , हरीतकी, मुनक्का , विडंग, छोटा गोखरू ,निशोथ ,धनिया ,धातकी पुष्प, इंद्रजो ,इंद्रायण, चव्य, शुंठी , दंती मूल ,मोचरस इत्यादि

रोगाधिकार   

कब्ज, भूख की कमी और उदर विकारों में उपयोगी। यह पंचगव्य की प्रसिद्ध दवा है अभयारिष्ट का प्रयोग उचित मात्रा में, रोग और रोगी का बल, रोगी की पाचन-शक्ति और कब्ज का ध्यान में रखकर करना चाहिये।

सेवन विधि   

15 से 20 मिली बराबर सादा जल में मिलाकर खाने के बाद सुबह शाम या चिकित्सक पे परामर्शानुसार

 

 

 

225 ml


पंचगव्य अभयारिष्ट एक आयुर्वेदिक औषधि है। अभ्यारिष्ट के सेवन से अनेक फायदे होते हैं। यह पेट के रोग जैसे कब्ज और बवासीर के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली उत्तम औषधि है। अभयारिष्ट, बवासीर के इलाज के लिए पंचगव्य द्वारा दी जाने वाली प्रमुख औषधियों में से एक है।

अभयारिष्ट सिरप के फायदे और उपयोग :

अनेक जड़ी-बूटियों को मिलाकर अभ्यारिष्ट को बनाया जाता है। अभयारिष्ट का उपयोग खासतौर पर बवासीर और कब्ज़ दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा भी यह औषधि कई रोगों में फायदेमंद है। यहां अभयारिष्ट के प्रमुख फायदे के बारे में बहुत ही आसान भाषा में लिखा गया है ताकि आप इसका पूरा लाभ ले पाएं।

कब्ज़ की बीमारी में अभयारिष्ट सिरप के सेवन से लाभ 

आज के समय में अधिकांश लोग कब्ज़ की समस्या से पीड़ित रहते हैं। इसकी सबसे प्रमुख वजह अनियमित जीवनशैली और खराब खान-पान है। पंचगव्य अभयारिष्ट सिरप कब्ज़ को दूर करने में बहुत फायदेमंद है। अभयारिष्ट में बराबर मात्रा में कुमार्यासव मिला लें। इसे पीने से अपच के कारण होने वाली कब्ज दूर होती है।

पाचन से जुड़ी बीमारी में अभयारिष्ट सिरप के फायदे

पंचगव्य अभयारिष्ट सिरप के फायदे कई बीमारियों के इलाज में मिलते हैं। आप पाचनतंत्र विकार में भी अभयारिष्ट का सेवन कर सकते हैं। अभयारिष्ट में ऐसे गुण होते हैं जो मल-मूत्र संबंधी विकारों को दूर करते हैं। यह पाचन को दुरुस्त रखती है। मल-मूत्र में रुकावट संबंधित रोग होने पर आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

बवासीर की बीमारी में अभयारिष्ट सिरप के फायदे

बवासीर होने की सबसे मुख्य वजह अपच के कारण होने वाली कब्ज़ है। कब्ज़ की वजह से शौच के समय दिक्कत आती है। अभयारिष्ट बवासीर की बीमारी को ठीक करती है, और दर्द से राहत दिलाती है। अभयारिष्ट मुख्य रूप से बवासीर के इलाज में इस्तेमाल की जाती है। यदि रोगी को मस्सों में बहुत अधिक दर्द हो तो तो दर्द के इलाज के लिए अर्शकुठार रस, बोलबद्ध रस, कामदुधा रस, सूरण बटक आदि में से किसी एक दवा का सेवन करें। दर्द कम होने के बाद अभयारिष्ट का सेवन अधिक लाभदायक होता है। बवासीर की शुरुआती अवस्था में ही इसका प्रयोग किया जाए तो यह रोग को बढ़ने नहीं देता। आप बाज़ार से या ऑनलाइन, पंचगव्य द्वारा निर्मित अभयारिष्ठ सिरप खरीद कर उपयोग कर सकते हैं।

लीवर और आंतों की बीमारी में अभयारिष्ट सिरप के सेवन से लाभ

लीवर से जुड़ी समस्याओं के इलाज के लिए भी अभयारिष्ट का सेवन किया जाता है। इसके सेवन से आंत स्वस्थ होते हैं और दस्त पर रोक लगती है। यह आंतों को कमजोर नहीं होने देती, इसलिए यह आंतों में दूषित मल का जमा नहीं होने देती है।